नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री ने कहा है कि केंद्र सरकार किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं दे रही है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को उसकी मूल भावना के साथ लागू नहीं किया गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य का आधार सरकार ने ए2+पारिवारिक श्रम को जोड़कर बनाया है। वो इस पर 50 प्रतिशत का लाभ जोड़कर पैसा दे रही है, जो किसानों से किए गए वादे को पूरा नहीं करता। असल में किसानों को सी2+50 प्रतिशत लाभ के फार्मूले से एमएसपी देने की जरूरत है। जिसमें खाद, पानी, बीज, दवा, मशीन की मरम्मत और उसके पारिवारिक श्रम आदि की भी लागत जुड़ती है।
एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए राष्ट्रीय किसान आयोग के प्रथम अध्यक्ष शास्त्री ने कहा, जो गेहूं सरकार द्वारा लागू किए गए फार्मूले से 1800-1925 रुपये क्विंटल पर बिक रहा है उसका दाम ईमानदारी से सी-2 लागू होने पर 2300 रुपये के हिसाब से मिलेगा। अभी एमएसपी का आकलन जैसे हो रहा है वो आर्थिक दृष्टि से तर्कसंगत नहीं है। यानी फसल का दाम सही तरीके से तय नहीं किया जा रहा।
- सिर्फ 6 फीसदी किसानों को मिलता है एमएसपी का लाभ
शांता कुमार समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि महज 6 फीसदी किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है। देश में सिर्फ 1.6 फीसदी बड़े किसान हैं। बाकी लोग लघु एवं सीमांत में आते हैं। उनमें से ज्यादातर के पास सरप्लस अनाज नहीं होता इसलिए उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था का लाभ नहीं मिल रहा। मुश्किल से गेहूं और धान के भी एक तिहाई भाग की ही खरीद एमएसपी पर हो पाती है। - किसानों को दी जाए निश्चित रकम
योजना आयोग के पूर्व सदस्य रहे शास्त्री का कहना है कि 2017 में उन्होंने स्विट्जरलैंड जाकर वहां के खेती मॉडल का अध्ययन किया था। तब वहां सरकार किसानों को सालाना प्रति हेक्टेयर 2993 यूरो यानी करीब 2.5 लाख रुपये खेती करने के लिए वजीफा के तौर पर देती थी। यानी एक लाख रुपये एकड़। इसके साथ ही किसान अपना उत्पाद कहीं भी किसी भी रेट पर बेचने के लिए आजाद होता था। इसी तरह पशुपालकों को 300 यूरो यानी करीब 25000 रुपये मिलते थे। - भारत में लागू हो निश्चित रकम देकर मदद का फार्मूला
मैं भारत में भी इसी मॉडल पर किसानों को सालाना एक निश्चित रकम देने की मांग कर रहा हूं। देश में 86 फीसदी लघु एवं सीमांत किसान हैं। उन्हें 20 हजार रूपये एकड़, उससे बड़े वालों को 15 हजार रुपये एकड़ और 10 हेक्टेयर से अधिक खेती वालों को 10 हजार रुपये प्रति एकड़ सरकारी मदद दी जाए। इसके साथ ही बाकी सब्सिडी खत्म कर दी जाए। इससे किसानों की स्थिति में सुधार आ सकता है। - कैसे तय होती है एमएसपी
- किसानों को उनकी उपज का ठीक मूल्य दिलाने के लिए सरकार एमएसपी की घोषणा करती है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) इसका आकलन करता है. इसे तय करने के तीन फार्मूले हैं।
ए-2: किसान की ओर से किया गया सभी तरह का भुगतान चाहे वो कैश में हो या किसी वस्तु की शक्ल में, बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरों की मजदूरी, ईंधन, सिंचाई का खर्च जोड़ा जाता है।
ए2+एफएल: इसमें ए2 के अलावा परिवार के सदस्यों द्वारा खेती में की गई मेहतन का मेहनताना भी जोड़ा जाता है। - क्यों जरूरी है न्यूनतम समर्थन मूल्य
- सी-2: लागत जानने का यह फार्मूला किसानों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें उस जमीन की कीमत (इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट) भी जोड़ी जाती है जिसमें फसल उगाई गई। इसमें जमीन का किराया व जमीन तथा खेतीबाड़ी के काम में लगी स्थाई पूंजी पर ब्याज को भी शामिल किया जाता है। इसमें कुल कृषि पूंजी पर लगने वाला ब्याज भी शामिल किया जाता है। यह लागत ए2+एफएल के ऊपर होती है।