नई दिल्ली। केंद्र सरकार किसानों के लिए यूनिक फार्मर आईडी यानी पहचान पत्र बनाने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि पीएम-किसान सम्मान निधि स्कीम और अन्य योजनाओं के डेटा को राज्यों द्वारा बनाए जा रहे भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस से जोड़ने की योजना है। इस डेटाबेस के आधार पर किसानों का विशिष्ट किसान पहचान पत्र बनेगा। एक न्यूज चैनल से बातचीत में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने इसकी तस्दीक की है।
क्या है सरकार की योजना-चौधरी ने कहा कि अभी इस पर चर्चा ही हुई है। काम आगे नहीं बढ़ा है। क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से सबका ध्यान अब इससे निपटने पर लगा हुआ है। लेकिन किसान पहचान पत्र बनने के बाद उन तक खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं को पहुंचाना आसान हो जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि केंद्र सरकार राज्यों के परामर्श से एक संयुक्त किसान डेटाबेस बनाने की प्रक्रिया में है। पहले चरण में पीएम-किसान योजना के तहत रजिस्टर्ड करीब 10 करोड़ किसानों को इसमें कवर किया जाना है। इस समय देश में 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं। जिनमें से 12 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान हैं। यानी जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम खेती है। तकनीकी तौर पर किसान कहलाने के लिए सरकारी पैमाना है। इस पैरामीटर पर खरे उतरने वाले ही खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं।
राष्ट्रीय किसान नीति-2007 के अनुसार 'किसान' शब्द का मतलब उगाई गई फसलों की आर्थिक या आजीविका क्रियाकलाप में सक्रिय रूप से शामिल व्यक्ति तथा अन्य प्राथमिक कृषि उत्पादों को उगाने वाले व्यक्ति से है।
इसमें काश्तकार, कृषि श्रमिक, बटाईदार, पट्टेदार, मुर्गीपालक, पशुपालक, मछुआरे, मधुमक्खी पालक, माली, चरवाहे आते हैं। रेशम के कीड़ों का पालन करने वाले, वर्मीकल्चर तथा कृषि-वानिकी जैसे विभिन्न कृषि-संबंधी व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति भी किसान हैं।
देश में 6,55,959 गांव हैं। बीती 4 फरवरी तक इनमें से 5,91,421 गांवों के रेवेन्यू रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन या कहें कि कंप्यूटरीकरण हो गया है. भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस का कंप्यूटरीकरण होने के बाद किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वालों का वेरीफिकेशन आसान हो जाएगा।
केंद्र सरकार के पास करीब 10 करोड़ किसान परिवारों का आधार, बैंक अकाउंट नंबर और उनके रेवेन्यू रिकॉर्ड की जानकारी प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि के तहत एकत्र हो चुकी है। इस डेटाबेस को मिलाकर यदि पहचान पत्र बनाने की कल्पना यदि साकार होती है तो किसानों का काम काफी आसान हो जाएगा।