स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने इंडिगो एयरलाइंस को कानूनी नोटिस भेजा है। बरबस ही एक देहाती मुहावरा याद आ गया- 'गली में बगराये और आंखें दिखाये।' कुणाल ने इंडिगो की एक उड़ान के दौरान पत्रकार अर्णब गोस्वामी को उकसाने वाली हरकत की थी। उस दौरान उसने आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। ऐसी हरकत कैसे बर्दाश्त की जा सकती थी। इंडिगो ने कुणाल कामरा पर छह माह के लिए प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद एयर इंडिया, स्पाइसजेट और गोएयर ने भी उसपर प्रतिबंध की घोषणा कर दी।
कामरा पर कार्रवाई का असर नहीं दिख रहा। इंडिगो को भेजे गए कानूनी नोटिस में कहा गया है कि प्रतिबंध तत्काल हटाया जाए, एयरलाइंस माफी मांगे और 25 लाख रुपये मुआवजा दे। इससे पहले कुणाल ने कहा था कि "वह दिवंगत छात्र रोहित वेमुला के प्रति सहानुभूति व्यक्त करना चाहता था और उसका व्यवहार नुकसान पहुंचाने वाला नहीं था।" उसकी सफाई और तर्क में दम नहीं है। असल मकसद यदि रोहित वेमुला के प्रति सहानुभूति व्यक्त करना था तब भी सहानुभूति प्रकट करने का यह कैसा तरीका था? किसी से शिकायत है तो जहां मन चाहेगा जवाब मांगने लगोगे? उसको अपमानित करोगे? और अब, एयरलाइंस पर आंखें तरेरी जा रही हैं।
हैरानी की बात है कि कुछ लोग कामरा पर प्रतिबंध का विरोध कर रहे हैं। कामरा के समर्थन में राहुल गांधी सामने आए हैं। राहुल का कहना है कि "कामरा पर चार विमान कंपनियों से इसलिए प्रतिबंध लगवाया गया ताकि सरकार के आलोचक को चु़प कराया जा सके।" वैसे इंडिगो के पायलट ने भी कामरा पर प्रतिबंध के तरीके पर आपत्ति जताई है। पायलट के अनुसार सोशल मीडिया में आई बातों के आधार पर कार्रवाई की गई, निर्णय लेने से पहले उनसे परामर्श नहीं किया गया। मीडिया का एक वर्ग और कुछेक कॉमेडियन कामरा के साथ दिखाई दिए। ध्यान देने वाली बात यह है कि कामरा के प्रति समर्थन और सहानुभूति प्रकट करने वालों में वही लोग अधिक हैं, जिन्हें या तो मोदी सरकार के विरोध के लिए जाना जाता है या जिनकी अर्णब गोस्वामी से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा है। कामरा की नोटिस पर इंडिगो की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने खराब व्यवहार करने वाले यात्रियों को अवश्य आईना दिखाया है। पुरी ने कहा कि "ऐसी हरकत करने पर अमेरिका में यात्री को हवालात की हवा खानी पड़ती है।" पुरी की टिप्पणी से सरकार का दृष्टिकोण सामने आया है।
इंडिगो और तीन अन्य एयरलाइंस का निर्णय प्रमाण पर आधारित है। कामरा ने तो खुद ही प्रमाण दे दिया। उनके ट्वीट के साथ घटना का वीडियो अटैच किया गया था। वीडियो देखने के बाद किसी जांच के लिए गुंजाइश कहां रह जाती है? उकसाने की हरकतों के दौरान अर्णब गोस्वामी पूरी तरह शांत रहे। खेद की बात है कि 'कामरा-कांड' और उसके बाद के घटनाक्रम को उदारवाद बनाम राष्ट्रवाद के चश्मे से देखने से कुछ लोग बाज नहीं आ रहे हैं जबकि मामला एक यात्री के खराब व्यवहार का है। एक यात्री का अपमान करने की कोशिश की गई। अन्य लोगों को असुविधा हुई। कामरा के समर्थन में कुछ कॉमेडियनों की बयानबाजी को समझा जा सकता है। इसे अंध बिरादरी प्रेम का झोंका कहना गलत नहीं होगा। पायलट की आपत्ति नियमों की व्याख्या से जुड़ी है। राहुल गांधी की प्रतिक्रिया अवश्य चिंतनीय विषय है। कांग्रेस जा कहां रही है? क्या राहुल की राजनीति, 'विरोध के लिए विरोध' तक सिमट चुकी है? उनकी ट्वीट बताती है कि वह गोस्वामी को कितना पसंद या नापसंद करते हैं। राहुल ने तंज कसते हुए कहा कि "जो 24 घण्टे अपने न्यूज कैमरों का इस्तेमाल दुष्प्रचार के औजार के तौर पर करते हैं, उन्हें कैमरे का सामना करने में साहस दिखाना चाहिए।" इस ट्वीट से व्यक्तिगत खुन्नस ध्वनित हो रही है। क्या इस खुन्नस की शुरूआत जनवरी 2012 के टीवी इंटरव्यू से शुरू हो गई थी, जिसमें गोस्वामी के कई सवालों पर राहुल असहज दिखाई दिए?
देखने वाली बात यह है कि कुणाल कामरा के ट्वीट पर इंडिगो की प्रतिक्रिया कैसी होगी। आसार तो इस बात के हैं कि एयरलाइंस हथकंडों के दबाव में नहीं आएगी। सरकार हस्तक्षेप करने से रही। खराब व्यवहार के आदी लोगों को हतोत्साहित करने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशक ने यात्रियों पर प्रतिबंध के नियम बनाए हैं। खराब व्यवहार को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में रखा गया है। तीन माह, छह माह और दो साल के लिए प्रतिबंध का प्रावधान है। दुनिया भर की एयरलाइंस, यात्रियों के खराब व्यवहार की समस्या से जूझती रही हैं। सन् 2007 से 2017 के बीच विश्व में ऐसी 66 हजार घटनाएं सामने आईं। इनमें मुख्य रूप से अन्य यात्रियों के साथ छेड़छाड़, उन्हें परेशान किया जाना या धमकाना, मौखिक या शारीरिक रूप से हिंसक होना, क्रू मेंबर की बात नहीं मानना, फ्लाइट डैक में प्रवेश या आपात द्वार खोलने जैसे उदाहरण अधिक सामने आए। पश्चिमी देशों में ऐसी हरकतें करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाती है।
कुणाल कामरा पर प्रतिबंध से पूर्व जांच की निर्धारित प्रक्रिया पालन नहीं करने का आरोप लगाया जा रहा है। सवाल उठाने वालों को समझना चाहिए कि इंडिगो का निर्णय महज भावनाओं में बहकर या किसी दबाव पर आधारित नहीं होगा। कमर कसने के बाद ही ऐसे सख्त कदम उठाए जाते हैं। खराब व्यवहार की लत के शिकार लोगों को संभल जाना चाहिए, अब तो भारतीय रेलवे भी इनपर प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)