मोदी के मन की बात में आदिवासी की सराहना

 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में केरल के जिस आदिवासी बुजुर्ग दंपती की प्रशंसा की थी, उसे उसके समुदाय ने समाज से बहिष्कृत कर दिया है। इस दंपती पर आरोप था कि इसने एक ऐसी पुस्तक लिखने में मदद की जिससे उस समुदाय की छवि को धूमिल हुई। इस महीने की शुरुआत में गांव की बैठक 'ओरुकोट्‌टम' ने पीवी चिन्नाथम्पी (77) और मणियम्मा (62) को एडमालकुट्‌टी गांव से बाहर जाने का आदेश सुनाया था। विवाद लेखक पीके मुरलीधरन की किताब 'एडमालकुड्‌डी: ओरुम, पोरुलुम' को लेकर हुआ, जो उन्होंने 2014 में लिखी थी। चिन्नाथम्पी ने इस किताब को लिखने में मुरलीधरन की मदद की थी।


दंपती गुरुवार को शिक्षक-लेखक पी के मुरलीधरन के साथ एसीसी/एसटी कल्याण राज्य मंत्री एके बालन से मुलाकात और इसमें हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने दंपती को हरसंभव मदद करने को लेकर आश्वस्त किया। मुरलीधरन ने बताया कि मंत्री ने देवीकुलम के विधायक एस राजेंद्रन से बात करेंगे। फिलहाल वे अपने गांव नहीं जा सकते। दंपती मुरलीधरन के दोस्त के घर में रह रहे हैं। दंपती मुरलीधरन की मदद से गांव में एक लाइब्रेरी बनाई थी। इसे लेकर मोदी ने इस साल जून में अपने मन की बात कार्यक्रम में प्रशंसा की थी।


बुजुर्ग दंपती ने एक चाय की दुकान में लाइब्रेरी खोली थी


मुरलीधरन और चिन्नाथम्पी ने सबसे पहले एक चाय की दुकान में लाइब्रेरी खोली थी। 2017 में उन्होंने पुस्तकों को निकट के एक प्राथमिक विद्यालय में पहुंचा दिया। मुरलीधरन ने बताया कि 'एडमालकुड्‌डी: ओरुम, पोरुलुम' नामक पुस्तक 2014 में लिखी थी लेकिन अभी तक इसे लेकर किसी को भी समस्या नहीं थी। मैं आदिवासियों के लिए चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार और उनके उत्पीड़न को लेकर आवाज उठाता रहा हूं। मुझे लगता है कि इस दंपती को बाहर निकालने के पीछे कुछ लोग साजिश कर रहे हैं।”


किसी को भी गांव से बहिष्कृत करने का अधिकार नहीं: विधायक


उन्होंने बताया कि जब मैंने विधायक से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि किसी को भी गांव से बहिष्कृत करने का अधिकार नहीं है। वह गांव के पंचायत से इस संबंध में बात करेंगे। विधायक ने कहा, “मैंने इस मुद्दे के बारे में सुना। उस समुदाय का कहना था कि मुरली ने एक पुस्तक लिखी जिसमें आदिवासी को खराब तरीके से प्रदर्शित किया है। मैं चिन्नाथम्पी को लंबे समय से जानता हूं। मैं आश्वस्त हूं कि वह कभी ऐसा काम नहीं करेगा जिससे आदिवासी की छवि खराब हो। मैं पंचायत के अधिकारियों से बात करूंगा